
भारत और UK के बीच ऐतिहासिक ट्रेड डील हुई है, और इसका एक मज़ेदार पहलू ये है कि ब्रांडेड ब्रिटिश व्हिस्की अब भारत में सस्ती मिलने वाली है।
जहां कुछ लोग इसे “स्पिरिटेड डिप्लोमेसी” कह रहे हैं, वहीं राजनीति में इसका स्वाद अब “तेजाबी” हो गया है।
अखिलेश यादव का तीखा तंज: भाजपा की सस्ती नीति = सस्ती व्हिस्की!
कन्नौज में एक कार्यक्रम के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा:
“भाजपाई खुद तो ब्रांडेड व्हिस्की पीते हैं और अब पूरे देश को भी पिलाएंगे! अगर सस्ती कोई चीज़ हुई है, तो सिर्फ़ व्हिस्की।”
उनका आरोप था कि भाजपा सरकार नौकरियां देना तो भूल गई, लेकिन शराब की कीमतें कम करवाने में पूरी ताकत झोंक दी।
बाज़ार विदेशी और मुद्दे देसी!
अखिलेश ने आरोप लगाया कि सरकार ने भारतीय बाज़ार को विदेशियों के हवाले कर दिया है, और जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटका रही है:
“बेरोज़गारी चरम पर, महंगाई आसमान पर, लेकिन जश्न है सस्ती व्हिस्की का!”
आरक्षण से लेकर उपराष्ट्रपति तक: BJP पर फुल अटैक मोड
व्हिस्की के बहाने सपा प्रमुख ने आरक्षण के मुद्दे पर भी भाजपा को घेरा। उनका कहना था कि भाजपा पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) विरोधी है और यह सरकार ग़रीबों, आदिवासियों, मुस्लिमों, जैन और सिखों के खिलाफ़ है।
“अगर कोई सरकार की आलोचना करे, तो उसे ‘धनखड़’ की तरह हटा दिया जाएगा।”
यहां उनका इशारा हालिया उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े की ओर था, जिसे उन्होंने ‘स्वास्थ्य कारण नहीं, राजनीतिक कारण’ बताया।
सस्ती व्हिस्की, तीखा विपक्ष
शायद अगली बार बजट में रोजगार के साथ ‘1+1 फ्री स्कॉच ऑफर’ भी आ जाए!
‘सबका साथ, सबका विकास’ अब बन गया है—‘सबका ड्रिंक, पर नौकरियों में ब्लैंक!’
देश में बेरोज़गारी के आँकड़े इतने ऊपर हैं कि व्हिस्की का नशा भी शर्मिंदा हो जाए।
UK-India ट्रेड डील ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में नया अध्याय जोड़ा, लेकिन देश के भीतर इसने नई राजनीति को जन्म दे दिया। जहां एक तरफ़ ग्लास में बर्फ़ डाली जा रही है, वहीं जनता पूछ रही है—“नौकरी कब मिलेगी भाई?”
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